नकली म्यूजिक सीडी और गानों की गैरकानूनी डाउनलोडिंग से लड़ना के लिये संगीतज्ञों ने एक नया तरीका अपनाया।
इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी (आईपीआरएस) एक ऐसी कापीराइट संस्था है जो होटलों और डिस्कोथेक में बजने वाले संगीत पर रायल्टी वसूलकर सैंकड़ों गीतकारों, संगीतकारों और संगीत कंपनियों को देती है। जितनी बार इनके संगीत को व्यवसायिक उद्देश्यों से चलाया जाएगा, उतनी बार उनपर रायल्टी देय होती है।
गौरतलब है की दिवंगत संगीतकार सलिल चौधरी की पत्नी सबिता, जिन्हें पहले अपने पति के सदाबहार गीतों पर कोई रायल्टी नहीं मिलती थी, आज आईपीआरएस की मदद से हर साल औसतन चार लाख रूपए बतौर रायल्टी प्राप्त करती हैं। सबिता ने जानकारी देते हुए कहा, "बहुत सी कंपनिया मुझे मेरे पति के गाने इस्तेमाल करने पर भी रायल्टी नहीं देती थीं। कलाकार अपनी रचनात्मक दुनिया में इतना खोया रहता है कि वह इन सब चीजों का लेखाजोखा रख भी नहीं पाता, लेकिन मुझे खुशी है कि आईपीआरएस की मदद से मुझे नियमित रूप से रायल्टी मिल रही है जिस कारण आज मैं बहुत खुश हूं।"
सबिता की ही तरह एस डी बर्मन और आर डी बर्मनजैसे संगीतकारों के संगीत के लिए पिछले चार वर्षों में अब तक लगभग एक करोड़ रूपये रायल्टी के रूप में मिल चुके हैं।
ज्ञात हो की सिर्फ दिवंगत कलाकारों तक ही यह सीमित नहीं है। प्रसिद्ध संगीतज्ञ मृणाल बंद्योपाध्याय को आज अपने रायल्टी के चेक मिलते हैं जो कि इस बुढ़ापे में उनके काफी काम आ रहे हैं। आज एआर रहमान, अन्नू मलिक, गुलजार और जैसे बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार भी आईपीआरएस के सदस्य है।
आईपीआरएस होटलों, रेस्तराओं, पबों और माल्स आदि से रायल्टी वसूलकर उसे गीतकारों, संगीतज्ञों और संगीत कंपनियों में बांटती है। वह अपनी इस उगाही का 30 प्रतिशत संगीतकार को, 20 प्रतिशत गीतकार को और 50 प्रतिशत संगीत कंपनी को देती है। आईपीआरएस एफएम चैनलों और टीवी के रिएल्टी शो से भी रायल्टी की माग करता रहा है।
कोलकाता में आईपीआरएस के क्षेत्रीय प्रबंधक अभिषेक बसु का कहना है कि अभी भी कई व्यावसायिक संस्थान उन्हें लाइसेंस शुल्क नहीं दे रहे हैं। वह उन संस्थानों को कानूनी नोटिस भी भेज चुके हैं। अगर वे आईपीआरएस के सदस्यों के कापीराइट का उल्लंघन बंद नहीं करते तो उन्हें जल्द ही अदालत में ले जाया जाएगा। जहाँ संस्था उनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की मांग करेगी।
---Bilal Jafri is a freelance journalist